हिंदू संस्कृति पर ‘हमलावरों’ का करें आर्थिक बहिष्कार
पाकिस्तानी क्रिकेटरों को आईपीएल क्रिकेट के लिए किसी ने नहीं खरीदा। बड़े नाटकीय ढंग से ‘सेक्युलर’ समूह तथा पत्रकारों ने इसका भी दोष भारतीयों पर मढ़ना शुरु कर ही दिया था कि आईपीएल की कंपनियों के मालिकों ने स्पष्ट भूमिका ली और कह दिया कि आखिर यह हमारे पैसे और देश की सुरक्षा का प्रश्न है। एक खेल समीक्षक ने एक तथाकथित ‘सेक्युलर’ चैनल पर यहां तक कह डाला, ‘क्या आज कोई पत्रकार या पाकिस्तानी सरकार या पाकिस्तानी क्रिकेटर यह ‘गारण्टी दे सकते हैं कि आईपीएल खेलों के दौरान पाकिस्तानी आतंकवादी फिर से 26/11 जैसा हमला नहीं करेंगे? ऐसा होता है तो क्या पाकिस्तानी क्रिकेटरों को यहां कोई आने देगा?’ और अब पाकिस्तान भारत को धमकियां देता है! प्रश्न केवल खेल का नहीं है।आजकल भारत में विशेषत: भारत के ‘हाईक्लास’ ‘सो कॉल्ड इलिट्स’ में फैशन हो गयी है कि जो भी पाकिस्तानी खेल-खिलाड़ी, कला-कलाकार, वस्त्र-परिधान, व्यंजन-खाना, सिरैमिक के बर्तन, कपास, बासमती, पीओके से ‘स्मगल’ होकर जम्मू-कश्मीर में आनेवाली गंदी सस्ती दाल इन सबको अपनाए। यह फैशन स्वयं को ‘सेक्युलर’ दिखाने की होड़ का हिस्सा है। पाकिस्तान से आ-आकर गजल गानेवाले गुलाम अली हो या गला फाड़कर चिल्लाकर ‘सूफी’ गानेवाले नुसरत फतेह अली खाँ (अब मृत) हो-अब उनका पुत्र राहत फतेह अली खाँ हो या सूफी गानेवाली पाकिस्तानी महिलाएं हों-इन सबके रंगारंग कार्यक्रम-’महफिल’ उनकी स्टाइल में-दिल्ली, मुंबई जैसी जगहों पर होती रहती हैं।
पिछले वर्ष भारत की एक शास्त्रीय गायिका को पाकिस्तान ने व्हिसा तक नहीं दिया था और अब ये सब ‘अमन की आशा’ नाम का षड्यन्त्र पाकिस्तानी वृत्तपत्र ‘जंग’ के साथ मिलकर चला रहे हैं। बड़ी-बड़ी बातें, लंबे-चौड़े विज्ञापन दे-देकर ‘अमन की आशा’ वाले घूम रहे हैं। जो पाकिस्तान हमारे भारत का हरा-भरा चमन उजाड़ने पर तुला है, उस पाकिस्तान के साथ ‘अमन की आशा’ का ‘मार्केट’ चलाने वाले देश के साथ गंभीर खिलवाड़ कर रहे हैं। वहाँ पाकिस्तान के सुरक्षा प्रधान भारत को धमकियां दे रहे हैं- ‘अगर पाकिस्तानी क्रिकेटरों को नहीं लिया गया तो हम भी देख लेंगे’, यहां हमारे सुरक्षा मंत्री लगातार कह रहे हैं, ‘पाकिस्तान से आतंकियों की बड़ी फौज यहां आयी है।’ फिर भी अमन की आशा की नौटंकी ये फैंसी सेक्यूलरिस्ट कर रहे हैं।
देश की सुरक्षा सर्वोपरि है, यह आम आदमी समझता है। हमारी सेना, पुलिस के जवान भी यह समझते हैं। परन्तु कुछ फैशनवाले सेक्यूलर समझकर भी ‘अमन की आशा’ जैसा सामाजिक-आर्थिक-राजकीय (Socio-Economic-Political) षड्यन्त्र चलाते हैं। इनमें से भी कुछ महनीय कलाकार सहृदय हैं, शायद उन्हें ऐसी योजनाओं के पीछे की गंभीर सच्चाई की जानकारी भी नहीं होगी। इसलिए हृदय में मधुर संबंधों की सच्ची आशा लिए वे भी कुछ दांभिक (ढोंगी) देशप्रेमियों के साथ जुड़ जाते हैं और फंसते हैं। अधिकांश भारतीय कलाकार बहुधा इनसे दूर ही रहते हैं।
‘कला के लिए कला’ या जीवन समाज के लिए कला यह विवाद वर्षों से चला आ रहा है। इस चर्चा का यह स्थान नहीं और आज वह समय भी नहीं। परन्तु यह प्रश्न अवश्य है कि क्या केवल पाकिस्तानी, मुस्लिम कलाकारों, खिलाड़ियों, फिल्म वालों को ही ‘वाणी, उच्चार, विचार, आचार स्वातन्त्र्य’ प्राप्त है? और वह भी भारत में? कोई हिन्दू या डच कलाकार मोहम्मद पैगम्बर का कार्टून बनाता है तो इनकी भावनाएं तिलमिलाने लगती हैं, जब मकबूल फिदा हुसैन दुर्गा मां और भारत माता का (एक जैसा दिखनेवाला !) नंगा चित्र बनाता है, तब ही इनको सब स्वातन्त्र्य याद आते हैं? पाकिस्तानियों और मुसलमानों के लिए रो-रो कर, चिल्ला-चिल्ला कर बोलने वाले ये सेक्युलर फैन्सीज तब कहां चले जाते हैं, जब पाकिस्तानी फिल्मकार, एक्टर, भारत में आकर भारतीय कलाकारों की रोजी-रोटी छीनते हैं? टूरिस्ट व्हिसा पर आकर वर्क व्हिसा ना लेकर फिल्में बनाकर भारतीयों का पैसा, नौकरी लूटनेवालों के विरुद्ध ये ‘अमन की आशा’, ‘जंग’ वाले क्यों चुप रहते हैं?
यही नहीं, भारत में भी कई ‘मिनी’ और ‘प्रॉक्सी’ पाकिस्तान कला, खेल, साहित्य, शिक्षा, विज्ञान और अन्य कई क्षेत्रों में बने हैं। फिल्मी दुनिया कितनी भी चमचमाती दिखे, पर्दे के पीछे हिन्दुओं के विरुध्द यहां भी पाकिस्तान और मुसलमानों का महाभयंकर षडयन्त्र चल रहा है। पाकिस्तानी एक्टरों, गायकों, निर्देशकों का भारत में आकर भारत के फिल्मवालों के पेट पर पाँव देना ही नहीं, फिल्म व्यवसाय में हिन्दुओं को सीधा-सीधा कैमरामैन की, स्टूडियो बॉय की, मेकअप मैन की भी नौकरी से कम कर उनकी जगह पाकिस्तानी/मुसलमान भरे जा रहे हैं। किसी भी फिल्म की श्रेयसूची देखें तो इसका पता चलता है। हिन्दू निर्देशक, निर्माता, नायक-नायिका इनका कोई चित्रपट न आए, इसके लिए मुसलमान निर्देशक, निर्माता, नायक-नायिका, डांस कोरिओग्राफर भयंकर षडयंत्र, गलत प्रचार करते रहते हैं। यह अन्तत: इतना फैला है कि हिन्दू निर्माता ही त्राहि माम् हो चुके हैं। यह षडयन्त्र यहां तक ही नहीं रुकता। हिन्दू परम्परा, मां गंगाजी, हिन्दू मंदिर, हिन्दू श्रद्धा, हिन्दू धर्मश्लोक इनका मजाक उड़ाना, इनका दुरुपयोग करना ये सब गतिविधियां आज चरमसीमा पर पहुंची हुई हैं। हम सबने समय रहते यदि इन पर काबू नहीं पाया तो इस्लाम और पाकिस्तान का यह व्हायरस क्रिकेट, चित्रकला, संगीत में घुसा है, जो करोड़ों रुपयों की फिल्म इण्डस्ट्री में पूर्णतया फैल जायेगा काकस हम सब क्या करें?
01 जहां कहीं पाकिस्तानी वस्तुएं, कला, संगीत, फिल्मकार, नायक-नायिकाएं, कपड़ा-परिधान, खाना आदि हैं, उन पर तुरन्त ‘बॉयकाट’ करें। महेश भट्ट जैसे दंभी-हिप्पोक्रेट-जिसके पुत्र का नाम आतंकी हेडली के साथ लिया गया है-जो हमेशा पाकिस्तानी नायिकाओं को लाते रहता है, उसकी फिल्में चलनी नहीं देना चाहिए।
02. ‘जिहाद’ का समर्थन करनेवाली बहुत सी फिल्में पेट्रो डॉलर खर्च कर या स्थानीय मुसलमानों के समर्थन से बनायी जा रही हैं। उन सब पर तुरंत पाबंदी लगाने की मांग करते हुए सड़क पर उतर कर लोकतांत्रिक आन्दोलन करना चाहिए।
03. हिन्दुओं की भावनाओं, हिन्दुओं की नौकरियाँ, इनको आहत करनेवाली जो फिल्में बनती हैं, उन पर तुरंत पाबंदी लगा देनी चाहिए। किसी भी चित्रपट में कला के नाम पर हिन्दू धर्म और संस्कृति का भद्दा मजाक उड़ाना, उनका दुरुपयोग करना इनके लिए कानूनन कार्रवाई तथा बॉयकॉट करना चाहिए। ऐसी फिल्में किसी भी चित्रपट गृह में नहीं चलानी चाहिए।
04. भारत में आकर खेलनेवाले पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेल का बॉयकॉट करना चाहिए।
05. भारतीय होकर या ना होकर, भारत और हिन्दू धर्म के प्रतीकों का भद्दा मजाक चित्रकला, संगीत (ओऽम् का दुरुपयोग आजकल अनेकानेक गानों में, चित्रों में, फिल्मों में दिख रहा है। यही बात टीके की, सिन्दूर की और धर्मध्वज की है।) में, फिल्मों में जो करते हैं उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए और हिन्दुओं को भी सड़क पर उतरकर इन सबका विरोध करना चाहिए।
06. हिन्दुस्तान लीवर (अब युनिलीवर) जैसी कंपनियां अपने उत्पादों के विज्ञापनों में (साबुन का विज्ञापन : बाबर का बेटा हुमायूं का बेटा अकबर) मुसलमान राज का महिमा मण्डल कर रही हैं। इन पर तुरंत पाबंदी लाना चाहिए। इसी बाबर ने हमारा राम मंदिर तोड़ा था।
07. मीडिया में क्रिश्चियन और मुसलमान धर्मप्रसारक या औषधियों के कई विज्ञापन लंबे चलते हैं जिनमें हृदयविकार, कैंसर जैसी बीमारियां ठीक करने का दावा किया जाता है। हिन्दू साधु-सन्तों, ज्योतिषियों के प्रति शत्रुत्तव का व्यवहार करनेवाले, अंधश्रध्दा निर्मूलन वाले और उनके कानून, ऐसे क्रिश्चियन, मुसलमान ढोंगी लोगों के बारे में चुप क्यों रहते हैं? हम सबका मिलकर ऐसे विज्ञापन करने वाले तथा उन्हें दिखानेवाले सभी पर तुरन्त कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
अब समय आ गया है कि, हम सब मिलकर कहें, ”बस ! अब बहुत हो गया!” ऐसी देशद्रोही, धर्मद्रोही नौटकियां अब और नहीं। इसका आरंभ हम कम से कम इस्लामिक फिल्में, कलाकार, गायक, उत्पाद, सब्जीवाले, पानवाले इत्यादियों पर आर्थिक बहिष्कार करके करें। जनसंख्या बढ़ाकर हमारे धर्म का संस्कृति पर हमला करने वालों को अब और आगे बढ़ने न दें। गौहत्यारे, गौभक्षक और जिहाद में विश्वास रखनेवालों का आर्थिक बहिष्कार यदि आज नहीं करेंगे तो कल हिन्दू बच्चे भूखे मरेंगे!
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