Friday, February 5, 2010

छत्तीसगढ़ प्रदेश आईएएस अधिकारियों के भरोसे

कई सालों के लंबे प्रयास और इस प्रांत के लोगों द्वारा किये गये न जाने कितने आदोलनों के वजह से बने छत्तीसगढ़ प्रदेश अपने जन्म से ही आईएएस अधिकारियों का रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब इस प्रदेश की घोषणा की होगी तब उन्होंने यहां रह रहे जनमानस की भलाई को ध्यान में रखते हुये यह कदम उठाया होगा। पर उनके घोषणा के तुरंत बाद ही इस प्रदेश को एक नया मुख्यमंत्री मिला जो कि आईएएस अधिकारी था और तब से अब तक प्रदेश की कार्यशैली पर गौर किया जाये तो ऐसा लगता है कि जैसे माननीय अटल जी ने नया प्रदेश का निर्माण तो किया पर शायद इन अधिकारियों ने उसे अपना गिफ्ट समझ लिया हो। अजीत जोगी शासनकाल में तो मानो मंत्री पद भी इन अधिकारियों ने अपने पास गिरवी रखवा लिया था। किसी मंत्री को अपने अरदली तक का ट्रांसफर या पदोन्नति का अधिकार नहीं था जो भी होता वो या तो मुख्यमंत्री या उन्हें घेरे हुये अधिकारी करते थे। ये तमाम अधिकारी जो उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के नाम से कसमें खाने को तैयार रहते थे वो आज या तो प्रतिनियुक्ति लेकर अनयंत्र चल गये है या उन्होने अपना भगवान बदल लिया है। क्योंकि अधिकारी तो अधिकारी होता उसे क्या फर्क पड़ता है किसी की भी सरकार रहे। पर इस परीपाटी की कीमत तो कांग्रेस चुका रही है पिछले दो चुनाव उसे हार का स्वाद चखना पडा। वही ये अधिकारी अक्सर आज अजीत जोगी को पहचान भी नहीं पाते है।

भाजपा जब 2003 में सरकार पर काबिज हुई और कार्यकर्ताओं में इतना जोश था कि इन अधिकारियों को लगा कि कुछ दिन शांत रहे तो ही अच्छा है। पर धीरे-धीरे कार्यकर्ताओं का जोश और सत्ता पार्टी का डंडा इतना खामोश हो या कि मानो सत्ता पक्ष ने अपने हाथों से प्रदेश की बागडौर इन आईएएस अधिकारियों को सौप दी है। डॉ. रमन सिंह के प्रथम कार्यकाल में तो सब कुछ ठीक रहा उनके मंत्रियों की भी चली, मंत्रियों ने अपने कार्यकर्ताओं का भी ध्यान रखा और शायद तभी उन्हें दोबारा सत्ता में आने का मौका प्राप्त हुआ। खैर ऐसे यह मानना भी गलत नहीं होगा कि डॉ रमन सिंह के भोले-भाले व्यक्तित्व का भी उन्हें फायदा मिला था। जो शायद उनके विरोधियों का हजम नहीं हुआ। इसी वजह से उनके दोबारा सत्ता में आते ही होने ही ऐसी खबरे राजनैतिक गलियारों में फैला दी गई की सावधान हो जाओ अब रमन सिंह बदल गये है और इन सब से किसी का भला हो न हो तत्कालीन लाभ कांग्रेस को तो मिला नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में कुछ सफलताएं तो उसके हाथ लगी।

प्रदेश की वर्तमान परिस्थितियों को देखे तो ऐसा लगने लगा है कि मानो दोबारा अधिकारियों की चल निकली है। दोबारा अधिकारी मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द घेरा बनाने में सफल हो गये है। दुबारा सत्ता में आये भाजपा को लगभग एक वर्ष से यादा हो चुका है पर अब तक निगम-मंडलों में इन अधिकारियों पर कब्जा बरकरार है। मंत्रियों को भी अब अधिकारियों को नजरअंदाज करने लगी है। मनमानी तो इस कदर हावी है इन अधिकारियों पर की एक-एक आईएएस अधिकारी के पास चार-चार विभागों के दायित्व है। जब काम के बारे में पूछा जाता है तो बड़े ही आसानी से यही अधिकारी कह देते है कि काम के बोझ कुछ यादा हो गयी है साहब और साहब तो है ही भोले वो भी खामोश हो जाते है। हालत यह है कि ऐसा कोई विभाग नहीं बचा है जहां आईएएस अपना डंडा न चला रहा हो चाहे शिक्षा,तकनीकी शिक्षा, उद्यानिकी, कृषि, उद्योग, जनसंपर्क, स्वास्थ्य, पर्यटन, संस्कृति, ऊर्जा, शहरी विकास चारों ओर अगर कोई डंका बज रहा है तो सिर्फ और सिर्फ इन अधिकारियों का। हाल ही में इन अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश ने एक नया कीर्तिमान भी रच डाला। पूरे भारत में कोई ऐसा प्रदेश नहीं है जहां स्वास्थ्‍य विभाग में सर्वोपरी अधिकारी आईएएस हो सारे प्रदेशो में इस पद को डॉक्टरों के लिए ही छोड़ दिया जाता है पर वाह रे छत्तीसगढ़ के अधिकारीगण इस पद पर भी एक नये नवेले युवा आईएएस को मौका दिया गया। यह बिल्कुल ही एक कीर्तिमान होगा जब आईएएस अधिकारी पोस्टमार्टम की बारीकियां समझायेंगे। अधिकारियों की और समझनी है तो सूनीये कुछ माह पहले जब दोबार भाजपा की सरकार बनी तब प्रदेश के एक नामचीन अखबार ने कुछ हफ्तो तक मंत्रीयो के साक्षात्कार छापना शुरू किया पर ये क्या शायद बीच में ही उस पत्रकार को लगा कि अब मंत्रियों के दिन तो लद गये है अब तो अधिकारियों की बारी है। तो उस अखबार ने बीच में उस साक्षात्कार की श्रेणी को बंद कर अधिकारियों का साक्षात्कार छापने लग गया।

नगरीय और पंचायत चुनावों में अपेक्षीत परिणाम नहीं आये तो संगठन के कु छ बड़े नेताओं की आखें टेड़ी हो गई और तुरंत ही वे रायपुर आकर नेताओं की क्लास लेने लग गये। पर उनके सामने मुहं खोले तो कौन? सारे नेतागण चुपचाप असहाय होकर कड़वे प्रवचनों का लाभ लेते रहें।

पर संगठन अब यह समझ लेना चाहिए कि प्रदेश के दो करोड़ सात लाख जनता ने भारतीय जनता पार्टी को चुना है न कि इन वातानुकुलित कमरों में बैठने वाले अधिकारियों को। कहावत है कि हाथ कंगन को आरसी क्या, और पढे लिखे को फारसी क्या, इस कहावत को चरितार्थ देखने मिला रायपुर में, कुछ माह पूर्व ही एक नए नवेले और तेज तर्रार अधिकारी ने रायपुर में चुन चुनकर बुलडोजर चलवाये और जिसका खामियाजा सालों से पार्टी के लिए मेहनत कर रहे कार्यकर्ताओं ने नगर निगम चुनावो में अपने हार से चुकाया। उक्त अधिकारी को इस साहसिक कार्य के लिए तोहफे में मंत्रालय में और बड़ा कमरा दिया गया।

भाजपा संगठन के मठाधिशों जल्दी से जाग जाओ वरना वह दिन दूर नहीं जब सत्ता चली जाएगी और रह जाएगी तो सिर्फ आंदोलन और धरनाएं।

-इमरान हैदर

No comments:

Post a Comment