नागपुर, 17 जनवरी। गोरक्षा के लिए 108 दिन तक सम्पूर्ण देश को झकझोरने के बाद विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा आज यहां सम्पन्न हो गयी। रेशिम बाग मैदान में आयोजित विशाल समापन सभा को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्व योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि गोमाता आत्मउपचार और आत्मसाक्षात्कार का आधार है और यह ग्रामोदय से राष्ट्रोदय का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि गाय कोई सांप्रदायिक प्राणी नहीं है, यह बिना किसी भेदभाव के सभी का पालन करती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आज गाय नहीं बची तो पूरी दुनिया का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
बाबा रामदेव ने उपस्थित जनसमूह का आहवान करते हुए कहा कि सभी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से गोसेवा करें। उन्होंने कहा कि प्रात:काल गोमूत्र का सेवन अनेक बीमारियों का शमन करता है और कब्जी होने की संभावना समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि गाय अगर दूध न भी दे तो भी सिर्फ गोमूत्र और गोबर से पर्याप्त आय हो सकती है। उन्होंने सात रूपये प्रति लीटर के भाव से गोमूत्र खरीदने का भरोसा भी दिलाया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि एक समय था जब गाय और गांव की बात को पिछड़ी बात माना जाता था। लेकिन आज आधुनिक युग में यही मुख्य चिंतन की बात मानी जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शहर जितना बड़ा बनेगा, उतना ही बेखबर भी बनेगा। गांव में मनुष्य मनुष्य को पहचानता है, अत: वह स्वतंत्रता, समरसता और सुख का अनुभव करता है, और नियंत्रणविहीन व्यवस्था होते हुए भी अनुशासित समाज होता है। उन्होंने गोग्राम आधारित जीवन को विकेंद्रित और प्रकृति के समीप का युगानुकुल तरीका बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा का उद्यापन है। केवल नारों से काम चलने वाला नहीं है। उन्होंने देशवासियों को आहवान किया कि वे गाय को जीवन में लाने के लिए दो चार कदम आगे बढ़ाएं।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के समापन समारोह के अवसर पर रेशिम बाग मैदान में मानों पूरा शहर उमड़ पड़ा। पूरा मैदान खचाखच भरा हुआ था। योग गुरू बाबा रामदेव के अलावा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत के अलावा करवीर पीठ के शंकराचार्य श्री नृसिंह भारती सरस्वती, आचार्य महासभा के अधयक्ष स्वामी दयानंद सरस्वती, गोकर्ण पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी, जैन मुनि श्री पवित्र सागर महाराज, बौद्ध संत भंते ज्ञान जगत महाराज, नवबौद्व संत भदंत राहुल बौधि, मौलाना बशीर कादरी आदि ने गोरक्षा के प्रति अपना संकल्प व्यक्त किया।
समापन कार्यक्रम से पूर्व यात्रा समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डा एच आर नागेन्द्र, राष्ट्रीय सचिव श्री शंकरलाल एवं अन्य पदाधिकारियों ने दीक्षा भूमि जाकर भारत रत्न डा भीमराव अम्बेडकर को श्रद्वांजलि अर्पित की।
यात्रा के राष्ट्रीय सचिव श्री शंकरलाल ने बताया कि 108 दिन चली विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा ने देश का अनवरत भ्रमण किया और दस हजार उपयात्राओं ने पूरे देश को मथ डाला। गांव-गांव, गली-गली, नगर-नगर, डगर-डगर यात्राओं का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। हिन्दू ही नहीं ईसाई और मुस्लिम समाज के लोगों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। देशभर में हजारों सामाजिक संगठन इसमें सहभागी हुए।
उन्होंने बताया कि विश्व के आधुनिक इतिहास में सबसे बडे ज़नमत संग्रह के रूप में यात्रा का हस्ताक्षर अभियान स्थापित हुआ है। करोड़ों लोगों ने अपने हस्ताक्षर द्वारा इस अभियान के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। यह वह संख्या है जो आज से पहले किसी भी अभियान के समर्थन में नहीं जुटी।
शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, मधवाचार्य, रामानंदाचार्य, महामंडलेश्वर, अखाडे, जैन मुनि, बौद्ध भिक्षु, नामधरी संत, वाल्मिकी संत, रामसनेही सम्प्रदाय, गायत्री परिवार, बह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, पातंजली योगपीठ, आर्ट ऑफ लिविंग, चिन्मय मिशन जैसे प्रतिनिधि संगठनों की सक्रिय भागीदारी भी यात्रा को यशस्वी बनाने में महत्वपूर्ण रही।
उन्होंने कहा कि यात्रा ने न केवल भारत की आस्था को झकझोरा है बल्कि देशभर में स्वावलंबन के बीज भी बोये हैं। निराश हृदयों में आशा का संचार किया है तो युवा शक्ति को आत्मविश्वास का अग्निमंत्र भी दिया है। उन्होंने कहा कि विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा और प्रभावी आंदोलन है और यह एक मौनक्रांति का सूत्रपात है।
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