सिवनी। जिला पंचायत के चुनाव में केवलारी विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्र. 11 का चुनाव अत्यंत रोचक था। यहां से इंका समर्थक श्रीमती फरीदा साबिर अंसारी के विरुद्ध भाजपा समर्थित प्रत्याशी के रूप में वृंदा भुवन ठाकुर चुनाव मैदान में थीं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि फरीदा अंसारी 1999 से 2004 तक केवनारी जनपद पंचायत की अध्यक्ष थीं। पिछले जिला पंचयात चुनाव में इसी वार्ड के वे ना केवल सशक्त दावेदार थीं वरन पिछड़ा वर्ग महिला के लिये अध्यक्ष पद आरक्षित होने के कारण वे एक योंग्य उम्मीदवार थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले भाजपा से कांग्रेस में आये आनंद भगत के लिये क्षेत्रीय इंका विधायक हरवंश सिंह ने फरीदा अंसारी को चुनाव नहीं लड़ने दिया। इस बार जब वे चुनाव लड़ीं तो अध्यक्ष पद अनारक्षित वर्ग के लिये था।
दूसरी ओर यह तथ्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं कि पंवार समाज की भाजपा समर्थित घोषित की गयी प्रत्याशी वृंदा ठाकुर के पति भुवन ठाकुर ने केवलारी विस क्षेत्र से भाजपा के बागी उम्मीदवार के रूप में 2009 का चुनाव लड़ा था। इससे पंवार समाज के ही भाजपा प्रत्याशी डॉ. ुठला नहीं पाये थे। कंवलारी से भाजपा उम्मीदवार के रूप मे 93 और 98 का चुनाव लड़ चुकीं नेहा सिंह के समर्थकों ने यह भी बताया हैं कि इन चुनावों में भी भुवन ने भाजपा के बजाय हरवंश का ही काम किया था और शायद इसीलिये भाजपा नेत्री नेहा सिंह के कांग्रेस प्रवेश के समय उनके साथ भुवन ने कांग्रेस ज्वाइन नहीं की थी। अब तो जिले में कांग्रेस की तरह ही भाजपा में भी बागियों को पुरुस्कृत का दौर शुरू हो गया हैं। इस चयन को लेकर भाजपा में काफी हड़कंप मचा और भाजपा के उगली मंड़ल ने आशा राजपूत को सतर्थित प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके कारण जिले से उन्हें नोटिस भी मिला। भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में इतनी बगावत होने के बावजूद भी भाजपा प्रत्याशी का भारी वोटों से जीतना सियासी गलियारों में चर्चित हैं। ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं हैं कि हरवंश सिंह ने भुवन ठाकुर का विधानसभा चुनाव का कर्जा चुकाने और ताकतवर अंसारी परिवार को धूल चटाने लिये ऐसी सियासी बिसात बिछायी कि एक तीर से दो दो शिकार हो गये।
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