आंध्र प्रदेश के अहम हिस्से तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले चार दशकों से चला आ रहा आन्दोलन आखिर रंग ले ही आया. तेलंगाना का मतलब है ‘तेलुगुओं की भूमि’. तेलंगाना मूल रूप से हैदराबाद के निज़ाम की रियासत का हिस्सा था. वर्ष 1948 में भारत ने निज़ाम की रियासत को खत्म करके हैदराबाद राज्य की नींव रखी. आंध्र प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य था जिसका गठन भाषाई आधार पर किया गया था. उस वक़्त कामरेड वासुपुन्यया ने अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर मुहिम शुरू कर दी. कामरेड वासुपुन्यया का सपना भूमिहीन किसानों को ज़मींदार बनाना था. मगर कुछ साल बाद इस आंदोलन की कमान नक्सलियों के हाथों में आ गई. इसी बीच 1956 में तेलंगाना के एक बड़े हिस्से को आंध्र प्रदेश में शामिल कर लिया गया, जबकि कुछ हिस्से कर्नाटक और महाराष्ट्र में मिला दिए गए.
इसके कुछ साल बाद 1969 में तेलंगाना आंदोलन फिर शुरू हुआ. इस बार इसका मकसद इलाके का विकास था और इसमें बड़ी तादाद में छात्रों को शामिल किया गया था. उस्मानिया विश्वविद्यालय इस आंदोलन का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. इस आंदोलन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग और लाठीचार्ज में मारे गए सैकड़ों छात्रों की कुर्बानी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया. हालांकि इस आंदोलन को लेकर सियासी दलों ने खूब रोटियां सेंकी. तेलंगाना प्रजा राज्यम पार्टी के नेता एम. चेन्ना रेड्डी ने ‘जय तेलंगाना’ का नारा देकर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस में शामिल कर कांग्रेस के सुर में सुर मिला लिया. उनकी इस बात से खुश होकर इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया. मगर एम. चेन्ना रेड्डी के पार्टी समेत कांग्रेस में शामिल होने से तेलंगाना आन्दोलन को बहुत नुकसान हुआ. कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत 1971 में तेलंगाना क्षेत्र के नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर तेलंगाना आंदोलन को मज़बूत नहीं होने दिया.
नब्बे के दशक में तेलुगु देशम पार्टी का हिस्सा रहे तेलंगाना समर्थक के चंद्रशेखर राव 1999 के चुनावों के बाद मंत्री पद चाहते थे, लेकिन उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया गया. अपनी अनदेखी से आहत के चंद्रशेखर राव ने 2001 में अलग तेलंगाना राज्य की मांग करते हुए तेलुगु देशम पार्टी को अलविदा कह दिया. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन किया. इसके बाद 2004 में वाई एस राजशेखर रेड्डी ने अलग तेलंगाना राज्य के गठन को समर्थन देते हुए चंद्रशेखर राव से गठबंधन कर लिया. मगर इस बार भी वही हुआ जो अब तक होता आ रहा था. वाई एस राजशेखर रेड्डी ने भी अलग तेलंगाना राज्य के गठन को तरजीह नहीं दी. इससे नाराज़ होकर तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया. इस पर चंद्रशेखर राव ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया और अपने आंदोलन को जारी रखा.
गौरतलब है कि 114,800 वर्ग किलोमीटर में फैले तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के 23 ज़िलों में से 10 ज़िले ग्रेटर हैदराबाद, रंगा रेड्डी, मेडक, नालगोंडा, महबूबनगर, वारंगल, करीमनगर, निजामाबाद, अदिलाबाद और खम्मम आते हैं. आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा सीटें और 17 लोकसभा सीटें भी इस क्षेत्र में आती हैं. करीब 3.5 करोड़ आबादी वाले तेलंगाना की भाषा तेलुगु और दक्कनी उर्दू है. ग्रेटर हैदराबाद तेलंगाना के बीचो-बीच स्थित है और इसके नए राज्य की राजधानी बनने की उम्मीद है.
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ReplyDeleteachchha avalokan !
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